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“क्या ऐसे हो पायेगा विकास ?”
वर्तमान समय में महंगाई देश के विकास के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा है| दाल, चावल,सब्जी, तेल और लगभग सभी अनाजों के दाम आसमान छू रहे है| एक सामान्य आय के परिवार से लेकर गरीबी रेखा के नीचे जीवन निरवाह करने वालो तक सभी परिवारों को इस समस्या से जूझना पड़ता है| सुबह के मंजन से लेकर रात के भोजन तक सभी वस्तुओं के दाम आसमान छूते नजर आते है| मायानगरी कही जाने वाली मुंबई में अगर ऊंची-ऊंची मीनारनुमा भवनों को छोड़कर उस बस्ती में नज़र दौड़ाया जाए जहाँ की गरीबी और रहन सहन को देखकर एक बार आत्मा स्वयं से पूछने पर मजबूर हो जाती है की “क्या यही है वो भारत जो कभी सोने की चिड़िया था?” आज भारत में आधे से कही ज्यादा लोग ऐसे है जो प्रतिदिन २०-४० रूपये पर अपना जीं व्यापन करते है| एक गरीब जब घर से सुबह बाहर निकलता है तो उसके बच्चों की भी कुछ मांग होती है, उसके परिवार की भी कुछ जरुरत होती है पर एक बार और सोचिये क्या रोजाना २०-४० रुपये पर अपना जीवन व्यापन करने वाला व्यक्ति ये सब कैसे करेगा, यही सब कारन है जिसके कारण वह परेशान होकर आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है| सरकार अपने फायदे के लिए घाटे का बजट बनाती है, अत्यधिक करारोपण करती है और फिर मुद्रा का निर्गमन करती है पर ये सब करते हुए सरकार एक बार भी नहीं सोचती की इसका गरीबो पर क्या प्रभाव पड़ेगा| ये बाद दोबारा सोचने लायक है की जैसे ताश के पत्तों के घर में यदि एक भी पत्ता कमजोर या गलत हुआ तो वो सेकंड भर भी नहीं खड़ा रह सकता उसी प्रकार यदि देश का विकास करना है तो इन गरीबों और किसानो का भी विकास करना होगा क्योकि इनके विकास के बगैर देश का विकास कभी संभव नहीं होगा| आज के समय में आलम ये है की गरीब और गरीब होता जा रहा है तथा अमीर और भी अमीर| एक बार सोचिये और फिर मुझे बताइए की क्या इन गरीबों के विकास बिना देश का विकास संभव है?
——शरद शुक्ला, फैजाबाद
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